जमशेदपुर | झारखण्ड
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान जमशेदपुर में भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र का उद्घाटन देश के जाने माने भारतीय ज्ञान परंपरा के जानकार एवं “भारत वैभव” किताब के लेखक डॉ. ओम प्रकाश पाण्डेय के करकमलो द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र का मुख्य उद्देश्य प्राचीन काल से चली आ रही ज्ञान परंपरा, मानव जीवन में प्रयोग होने वाले परंपरागत पद्धति को नवीन विज्ञान एवं प्रौद्यिगिकी के साथ समन्वय स्थापित कर उसे वर्तमान समय मे तकनीक का विकास है।
डॉ. पाण्डेय ने अपने उदघाटन भाषण में आवाहन करते हुए कहा की तकनीकी संस्थानों को अपने पूर्वजों को कृतित्व पर शोध के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी में राष्ट्र जीवन के प्रति श्रेष्ठ पुरुषार्थ की प्रेरणा विकसित हो एवं भारत को परम वैभव की पुन: प्रतिष्ठापित करने में सहयोग करें। उन्होंने भारतीय विश्वविद्यालयों को भारतीय संस्कृति और ज्ञान का पालन न करते हुए देखा है। उन्होंने संस्थान में भारतीय ज्ञान संस्कृति को फिर से दिखाने के प्रयास की सराहना की। उन्होंने प्राचीन काल में साधुओं द्वारा विज्ञान के उपयोग का वर्णन किया।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो. गौतम सूत्रधर ने अपने संबोधन में भारत के प्राचीन कालीन वैभव एवं परंपराओं पर प्रकाश डालते हुए समस्त वैज्ञानिकों एवं विद्यार्थियों को इस पर शोध के साथ-साथ आत्मसाथ करने का अहवान किया। प्रो. सूत्रधर ने इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य को रेखांकित करते हुए बताया की भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र का कार्यक्षेत्र मुख्यतः परंपरागत विज्ञान एवं प्रौद्यिगिकी का विकास, वैदिक गणित वर्ष खगोलिय विज्ञान आधारित नये तकनीक का विकास एवं शास्त्रीय संगीत एवं प्राचीन भारतीय कला का डिजिटलीकरण एवं संवर्धन है।
इस केंद्र के अंतर्गत आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान से संबंधित पुरातन परम्पराओ पर आधारित नए तकनीक के प्रयोग को सर्वसुलभ बनाना है। इस केंद्र के प्रमुख उद्देश्य में गो आधारित कृषि एवं उसके सतत् विकास के कार्यक्षेत्र के साथ इससे किसानों को जागरूक करते हुए आम आदमी से जोड़ना भी है। यह केंद्र आदिवासीयों के उन्नत एवं पारंपरिक कला, संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ दुनिया के अन्य हिस्सो में प्रचार एवं आत्मसाथ करने वाले तकनीक का विकास भी है। परंपरागत धातु र्कम, एवं धातु विज्ञान के प्राचीन पद्धति पर शोध के साथ- साथ पूजा पद्धति विशेषकर मंत्रों के उच्चारण से उत्त्पन होने वाली ध्वनि के प्रभाव एवं यज्ञ से संबंधित विज्ञान पर शोध है। इस केंद्र के विकसित होने से नई पीढीयाँ आधुनिक विज्ञान के साथ-साथ भारतीय ज्ञान परंपरा मे पदार्थ, मन और चेतना की उत्पत्ति और विकास, प्राचीन एवं आधुनिक प्रौद्योगिक उसके दार्शनिक आधार से रुबरु होंगे। इसपर होने वाले शोध हमारे पुरानी व्यवस्था एवं परंपराओं को वैज्ञानिक आधार प्रदान करेगा।
इस केंद्र के अध्यक्ष प्रो शैलेन्द्र कुमार ने अपने स्वागत भाषण में इस केंद्र के स्थापित होने वाले उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का संचालन केंद्र के समन्यवक डा. मनीष कुमार झा ने किया। इस अवसर पर संस्थान के उप निदेशक प्रो राम विनय शर्मा, कुलसचिव कर्नल (डॉ) निशीथ कुमार राय, समस्त विभागाध्यक्ष, अधिष्ठातागण, समस्त अध्यापक एवं संस्थान के सैकड़ों छात्र-छात्राएँ इस अवसर पर उपस्थित हुए। इस आशय की जानकारी संस्थान के जनसंपर्क पदाधिकारी सह मीडिया प्रभारी सुनील कुमार भगत ने दी।