आज हम बात करेंगे शाहीन बाग़ पार्ट-2 की। कृषि विरोधी कानून का विरोध दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। हमारे मन में ये सवाल तो जरूर उठते है की – क्या सरकार की संवेदना खत्म हो चुकी है? किसानों की मांगो को सरकार क्यों नहीं स्वीकार कर रही है? या फिर विरोध करने वाले किसान नहीं है बल्कि तथाकथित नौटंकी बाज है जो किसी विरोधी पार्टी या विदेशी तागतों के बल पर ऐसा कर रहे हैं। वर्तमान सरकार को विश्व पटल पर बदनाम करने की उनकी मंशा हो।
यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा आखिर कौन है सीधे-साधे किसानो का गुनहगार।
आज दिनांक 8 जनवरी, दिन शुक्रवार को दोपहर 2 बजे से होने वाली है बातचीत का 8 वां दौर जिसमें सरकार और किसान यूनियन नेता शामिल होंगे।
ज्ञात हो की 7 जनवरी को आयोजित सातवें दौर की बैठक में भी सरकार कृषि बिल का विरोध समाप्त करने में विफल रही। तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को ख़त्म करने के लिए सरकार और किसान यूनियन नेताओं के बीच आठवें दौर की वार्ता में होने वाली है।