आसनों का राजा : शीर्षासन। अनेक आसनों का लाभ केवल शीर्षासन करने से मिल जाता है। जानिए इसे करते कैसे हैं और इस आसन से क्या लाभ मिलता है?

लंबे समय तक जवान बने रहने के लिए इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।

शीर्षासन : अनेकों लाभ देने वाला यह आसन कुछेक को छोड़कर सभी उम्र के महिला, पुरुष कर सकते हैं। इसके लिए सतत अभ्यास की आवश्यकता होती है और यह आसन एक बार में नहीं हो सकता है। 

लेकिन बच्चे और नवयुवक इसे सरलता से कर सकते हैं। बड़े उम्र के लोगों को प्रारम्भ में दिक्कतें आ सकती है। जैसा कि इसके नाम से ही आप समझ गए होंगे कि यह सिर से किया जाने वाला आसन होगा। तो आप बिलकुल सही समझे हैं। यह आसन सिर के बल ही खड़े होकर किया जाता है। मुद्रा ऐसी होगी कि सिर जमीन पर और दोनों पैर आसमान की ओर।

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शीर्षासन


आइये, शीर्षासन करते हैं।

शीर्षासन आरम्भ करने से पहले कोई कपड़ा गोल लपेट कर सिर के नीचे लगाने के लिए रख लीजिए। मोड़कर या लपेट कर इसे अधिक मोटा न बनाये। बस सिर पर दबाव कम पड़े इतना मोटा बना लीजिए। आरम्भ में इसे करने के लिए दीवार या किसी मित्र का सहारा ले सकते हैं।

सबसे पहले घुटने खोलते हुए बैठ जाएं। अब दोनों हाथों की हथेलियों को एक दूसरे में फंसा लें और आगे शरीर को झुकाते हुए जमीन पर केहुनी तक सटा कर रख दें। (ध्यान रहे इन्हीं हथेलियों के पास सिर रखना है इसलिए यहां पर मोड़े हुए कपड़े को रख लें।) 

अब अपने सिर को इस स्थान पर रखें। थोड़ा सा उछलते हुए शरीर के पिछले हिस्सा को (कमर से पैर तक के भाग) को आसमान की ओर उल्टा कर दें। और अभ्यासानुसार पैर को ऊपर आसमान की ओर सीधा ले जाएं। यहां संतुलन बनाते हुए पैर बिल्कुल सीधे ऊपर की ओर उठा ले। इस स्थित में मूल बंध तथा उड्डयनबंध भी लगा सकते हैं। जिससे इस आसन का अधिक से अधिक लाभ मिल सके।

मूल बंध और उड्डयन बंध कैसे लगाया जाता है? इसके बारे में हमने पहले बताया है। जानने के लिए दिए लिंक पर जा सकते  हैं –  https://www.thenewsframe.com/2021/06/blog-post_4.html?m=1


    

लाभ – यह आसनों का राजा कहलाता है। क्योंकि यह सम्पूर्ण शरीर को रोग मुक्त करने में सहायक होता है। आइये इस आसन के कुछ प्रमुख लाभ जानते हैं – 

1. यह मस्तिष्क, बुद्धि, स्मृति को बढ़ाने में भी लाभप्रद है। 

2. हृदय को इस आसन में विश्राम मिलता है।  
3. लंबे समय तक जवान बने रहने के लिए इस आसन का अभ्यास करना चाहिए। 
4. बाल असमय सफेद नहीं होते। वहीं बालों का झड़ना व टूटना भी रुक जाता है। 
5. मानसिक तनाव और शारीरिक थकान दूर होता है। जिससे याददाश्त और बुद्धि तेज होती है।
6. मोटापा कम होता है। कमर पतला रहता है जिससे शरीर सुडौल बनता है।
7. पेट, कब्ज और हर्निया सम्बंधित रोग नष्ट होते हैं। 
8. स्वप्नदोष दूर करता है जिससे वीर्य की रक्षा होती है। 
9. ब्रम्हचर्य के नियम में मदद मिलती है।
10. आंखों की ज्योति तथा चेहरे की चमक बढ़ती है।
11. श्वसन सम्बंधित विकार दूर होते हैं।
12. फेफड़े स्वस्थ बनते हैं।
13. पाचन तंत्रमजबूत होता है। जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।
14. हाथ, पैर, कमर व बदन दर्द दूर होता है।
15. गर्दन, कंधे व कमर मजबूत बनते हैं।
16. पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है। जिनके पास समय का अभाव रहता है वे एकमात्र इस आसन के द्वारा समस्त आसनों का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

सावधान – मासिक धर्म अथवा गर्भावस्था में इस आसन को नहीं करना चाहिये।

नोट – आरम्भ में किसी योग गुरु या आसनों के जानकर / निरीक्षक के समक्ष ही कठिन आसनों को करना चाहिए जिससे किसी प्रकार का दुर्घटना न हो।

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