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अबुआ आवास योजना पर वन विभाग का वार! गिरिडीह के खेतको गांव में गरीब महिला के निर्माणाधीन आवास को ध्वस्त किया गया, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

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🚨 अबुआ आवास योजना पर वन विभाग का वार! गिरिडीह के खेतको गांव में गरीब महिला के निर्माणाधीन आवास को ध्वस्त किया गया, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल 🚨

📍 घटना स्थल: खेतको गांव, बगोदर प्रखंड, गिरिडीह

📅 घटना की तिथि: हाल ही की घटना, वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल

📰 रिपोर्टिंग: गिरिडीह/बगोदर

🌧️ बारिश से पहले बन रहा था छत, वन विभाग ने गिरा दी दीवार!

गिरिडीह जिले में अबुआ आवास योजना के लाभुकों को न केवल फंड की कमी के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि अब बन रहे घर भी सरकारी तंत्र की मनमानी की भेंट चढ़ने लगे हैं। खेतको गांव से सामने आई घटना ने प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

एक वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बगोदर रेंजर कार्यालय में तैनात वनरक्षी आनंद प्रजापति, अबुआ आवास योजना के तहत बन रहे एक गरीब महिला तारा पांडेय के निर्माणाधीन मकान की दीवार को धक्का देकर गिरा रहे हैं। महिला कैमरे के सामने रोती-बिलखती रही, बार-बार विनती करती रही कि पहले जांच कर ली जाए कि भूमि वाकई वन भूमि है या नहीं, लेकिन अफसर ने एक नहीं सुनी।

🏚️ तारा पांडेय का दावा – “जिस ज़मीन पर अब मकान बन रहा है, वहीं पहले जर्जर मिट्टी का घर था”

तारा पांडेय ने बताया कि जिस स्थल पर नया मकान बन रहा है, वहीं उनका पुराना जर्जर मकान भी था। अबुआ आवास योजना के तहत उन्हें जब राशि मिली तो उसी जमीन पर निर्माण कार्य शुरू किया। अगर यह भूमि वाकई वनभूमि होती, तो बगोदर प्रखंड की बीडीओ निशा ने बिना जांच के योजना कैसे स्वीकृत कर दी?

वीडियो देखें : 

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⚠️ बिना नोटिस, बिना मापी – क्या यही है कानून का राज?

  • तारा पांडेय के पास पुराना जमीन संबंधी दस्तावेज था, जो अंचल कार्यालय में जमा भी है।
  • उन्हीं दस्तावेजों के आधार पर अबुआ आवास योजना स्वीकृत हुई थी।
  • वन विभाग ने किस आधार पर, बिना किसी नोटिस के, निर्माणाधीन मकान को गिरा दिया?
  • क्या यह मानवाधिकार हनन नहीं है?

🗣️ पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह (भाकपा माले) ने उठाए सवाल

बगोदर के पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा है कि:

  • यदि यह ज़मीन वन भूमि है, तो लाभुक को योजना की मंजूरी कैसे मिली?
  • अगर मंजूरी मिली तो वन विभाग ने बिना पूर्व सूचना और जांच के कार्रवाई क्यों की?
  • क्या यह गरीबों के हक पर सीधा हमला नहीं है?

🧱 वर्तमान विधायक के गांव में ही गरीबों का मकान टूटा!

ताज्जुब की बात यह है कि यह घटना वर्तमान विधायक नागेंद्र महतो के गांव में हुई है। सवाल यह भी है कि जब विधायक के गांव में ही ऐसी सरकारी बर्बरता हो रही है, तो अन्य क्षेत्रों का क्या हाल होगा?

🔎 विशेष बिंदु:

  • 🏚️ अबुआ आवास योजना के नाम पर गरीबों को भ्रमित किया जा रहा है?
  • 📝 प्रशासनिक तालमेल की कमी या सत्ता का दुरुपयोग?
  • 👩‍⚖️ महिला लाभुकों के साथ हो रहा है अन्याय?
  • 📹 वीडियो सबूत के बावजूद कार्रवाई नहीं, सवालों का अंबार!

🧭 निष्कर्ष:

यह मामला केवल एक दीवार गिरने का नहीं है, बल्कि गरीबी, प्रशासनिक विफलता और सत्ता के दंभ का सजीव उदाहरण है। अगर योजना स्वीकृत है, दस्तावेज हैं, तो फिर बिना किसी नोटिस के गरीब महिला का आशियाना क्यों उजाड़ा गया?

सरकार को चाहिए कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराए और तारा पांडेय को न्याय दिलाए। साथ ही, इस बात की भी समीक्षा हो कि क्या अबुआ आवास योजना वास्तव में लाभुकों तक पहुंच पा रही है या फिर यह भी अन्य योजनाओं की तरह अफसरशाही की चक्की में पिस रही है।

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