आपकी मूर्ति कहाँ रखी है : एक प्रेरक प्रसंग।

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सिकन्दर की विशाल राजधानी मे एक बहुत ही सुन्दर बगीचा था| उस बगीचे में प्राचीन और पारक्रमी योद्धाओं की  मूर्तियाँ खड़ी की गयी थी|  सिकन्दर की इस राजधानी को देखने के लिए कोई विदेशी आया | जो सिकन्दर का मेहमान भी था। अत: उसे शाही आतिथी गृह मे ठहराया गया | दूसरे दिन सुबह सिकन्दर ने उसे अपना वह शाही बगीचा दिखाने के   लिए ले गया |  वहाँ रखी मूतियाँ को देखकर वह आश्चर्यचकित रह गया। मेहमान ने पूछ लिया – यह किसकी मूतियाँ है?  सिकन्दर उन सभी मूर्तियों के बारे में बताता है। अंत में सारी मूर्तियाँ देख लेने के बाद मेहमान ने पूछा ? 

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महराज आप जैसे पराक्रमी राजा की मूर्तियाँ मुझें कही भी दिखाई नहीं दी| सिकन्दर ने बड़े ही सरलता से जवाब दिया- मेरी मूर्ति यहाँ रखी जाय और फिर  भविष्य में आने वाली पीढी यह प्रश्न करे कि यह मूर्ति किसकी है? इसकी अपेक्षा मुझे यह अधिक अच्छा लगेगा कि मेरी कोई भी मूर्ति यहां रखी ही ना जाय  और लोग यही पूछें कि आखिर सिकन्दर की मूर्ति यहां क्यों नहीं है ?

– प्रेरक कहानियां (Moral stories)

By Hema Kumari, Std. – VII, Vikash Vidhyalaya, Mango, Jamshedpur.

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