आदित्यपुर : प्रोफेसर बलराम अम्बादे (हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट, रसायन विभाग, NIT जमशेदपुर) और उनकी टीम के द्वारा आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया के पास किए गए अध्ययन के अनुसार इस क्षेत्र में ब्लैक कार्बन की सान्द्रता तीन गुना अधिक पायी गयी है।
बता दें की लॉकडाउन के दौरान ब्लैक कार्बन की संख्या में कमी आयी थी। इस दौरान मानवजनित गतिविधि में कमी आयी थी, लेकिन अब फिर से इंडस्ट्रियल, वाहनों के Movement से ब्लैक कार्बन में वृद्धि हो रही है, जो की बहुत ही खरतनाक है I
इस क्षेत्र में ब्लैक कार्बन की सान्द्रता में वृद्धि का मुख्य कारण असंगठित इंडस्ट्रियल पदार्थों का उत्सर्जन, वाहनों में बढ़ोतरी एवं बायोमास बर्निंग है। ब्लैक कार्बन वायुमंडल में उत्सर्जन के कुछ दिनों या कुछ सप्ताहों तक स्थिर रहने वाला एक अल्पकालिक जलवायु प्रदूषक है।
ध्यातव्य है कि विश्व में ब्लैक कार्बन के उत्सर्जन में चीन का प्रथम एवं भारत का दूसरा स्थान है। ब्लैक कार्बन कणकीय पदार्थ (Particulate Matter) 2.5 (PM2.5) का एक घटक है।
शोध का शीर्षक- “COVID-19 लॉकडाउन एशियाई वातावरण के ब्लैक कार्बन और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन को कम करते हैं: स्रोत अपचयन और स्वास्थ्य खतरा मूल्यांकन” था। इनके द्वारा किया गया यह शोध Environment, Development and Sustainability पत्रिका में प्रकाशित भी हुआ है।
भारत सरकार के विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा यह रिसर्च प्रोजेक्ट इन्हें सौंपा गया है जो ब्लैक कार्बन एयरोसोल में कार्य कर रहे है।
इस शोध को पूर्ण करने में प्रोफेसर बलराम अम्बादे के साथ तपन कुमार शंकर, श्रीकांत शंकर सेठी, अली जान हुसैन और दिलीप कुमार महतो ने सहयोग दिया है।
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