क्राइम डायरी : मंगलवार 28 सितंबर, 2021
दुनियाँ अजीबोगरीब चीजों से भरी पड़ी है। कुछ ऐसी ही सच्ची कहानी है डिओगो ऐल्वेस की, जो नौकरी की तलाश में भटकते हुए लिस्बन आया और बदलती हालातों से बन गया था पुर्तगाल का सबसे खूंखार सीरियल किलर। डिओगो इतना खूंखार था कि इसकी हैवानियत को पर्दे पर दिखाने के लिए सन 1909 में Os Crimes de Diogo Alves नामक एक पुर्तगाली फिल्म भी बनी और यह फ़िल्म पुर्तगाल की सबसे हिट फिल्मों में से एक है।
पुर्तगाल की यूनिवर्सिटी में इस ‘सीरियल किलर’ का कटा हुआ सर सुरक्षित रखते हुए पिछले 150 सालों से प्रिजर्व किया गया है।
आखिर ऐसा क्यों? आइए जानते है, इस खूंखार सीरियल किलर डिओगो ऐल्वेस की इंसान से राक्षस बनने की अनकही मगर सच्ची कहानी।
डिओगो ऐल्वेस का जन्म स्पेन के गैलेसिया में साल 1810 में हुआ था। आर्थिक कमी में बचपन बिता और युवावस्था आते-आते जिम्मेदारियों के बोझ ने हर नौजवान की तरह उसे भी नए-नए सपनों की ओर धकेल दिया। उसके मन में भी दुनियाँ बदल देने का ऐसा जुनून छाया की विलासिता भरे शहर पुर्तगाल की लिस्बन सिटी में आ गया। जवानी के जोश में उसने वहां काम की तलाश आरम्भ की। कुछ दिनों तक तो उसका हौसला बुलंद था लेकिन यह हौसले की उड़ान ज्यादा दिन तक टिकी न रह सकी। भूख और कमजोरी ने उसे एक दिन क्राइम की दुनिया का रास्ता दिखाया।
भूख शांत करने के लिए उसने लूटपाट आरम्भ कर दिया। सबसे पहले उसने गरीब किसानों को शिकार बनाना आरम्भ किया। उसने लिस्बन नदी पर बने एक पुल को अपना अड्डा बनाया और शाम के बाद हमेशा मंडियों से वापस आते अकेले किसानों को लूटना आरम्भ किया। अनाज या सब्जियां बेचकर अपने गांव लौटते अकेले किसान अब उसका शिकार बनने लगे। पैसे न देने पर उसने हत्या करना भी आरम्भ कर दिया और मर्डर करने के बाद लाश को पुल से नीचे नदी में फेंक देता था। यह सिलसिला अब चलने लगा। डिओगो की आर्थिक तंगी दूर होती चली गई। उसने दर्जनों किसानों को मौत के घाट उतार दिया।
लेकिन किसानों के गायब होने की खबर पूरे क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। मामला पुलिस के पास भी गया। पुलिस ने जांच में नदी के किनारे कुछ किसानों की लाशें मिली। पुलिस को लगा कि किसानों की स्थिति ठीक नहीं है और आर्थिक तंगी के कारण किसान आत्महत्या कर रहे हैं। शवों को शिनाख्त के लिए ले जाया गया। जांच में पाया गया कि कुछ शवों के शरीर पर धारदार हथियारों के निशान थे। जो कि हत्या की ओर इशारा कर रहे थे। यह देख पुलिस को शंका हुई।
पुलिस ने इसकी जांच कड़ाई से करना आरम्भ कर दिया। यह देख डिओगो ने लूटपाट और हत्या करना बंद कर दिया और लगभग तीन साल तक वह शांत रहा।
इन तीन सालों में उसने अपना गैंग बनाना आरम्भ किया। क्योंकि अब वह छोटे-छोटे लूटकांड से ऊब चुका था और कुछ बड़ा कांड करना चाहता था। इसके लिए उसने अपने गैंग का विस्तार करना स्टार्ट किया।
और ऐसे लोगों को गैंग में शामिल करना आरम्भ किया जो आर्थिक रूप से कमजोर थे। इसके लिए उसने काफी मात्रा में हथियार भी खरीद लिए। धीरे-धीरे उसके गैंग में कई लोग शामिल हो गए। अब उसने बड़ी लूटकांड को अंजाम देना आरम्भ कर दिया।
लगभग एक साल तक डिओगो ने कई लूटकांड को अंजाम दिया और असंख्य लोगों को मौत के घाट उतार दिया। अब वह पहले से भी अधिक खूंखार बन गया था। क्योंकि अब वह हत्या और लूट के प्रत्यक्षदर्शी को भी जिंदा नहीं छोड़ता था।
कहते हैं कि एक न एक दिन अंत सबका आता है। डिओगो के आतंक का घड़ा भी शायद भर चुका था। पुलिस को उसकी खबर मिल गई। लेकिन वह शातिर भी था और अपनी गैंग के साथ दिन के समय जंगल में ही छिपा रहता था। एक दिन डिओगो ने एक बड़े लूटकांड को अंजाम देने के लिए अपने गैंग के साथ लिस्बन के एक डॉक्टर के घर पर घुस गया। लूट की घटना को अंजाम देने के बाद उसने डॉक्टर का भी बेरहमी से हत्या कर वहां से फरार हो गया। तुरंत ही इसकी जानकारी पुलिस को मिल गई।
पुलिस ने पूरे क्षेत्र की नाकेबंदी कर दी और छानबीन आरम्भ कर दी। आखिरकार कुछ दिनों बाद ही हत्यारा डिओगो पुलिस की गिरफ्त में आ गया। उसपर मुकदमा चलाया गया और एक क्रूर हत्यारे के तौर पर वर्ष 1941 में उसे फांसी की सजा सुना दी गई। उस पर 70 से अधिक व्यक्तियों की क्रूर हत्या करने का आरोप लगाया गया। लिस्बन पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार लोगों को क्रूरता से मारने में उसे आनन्द आता था।
इस तरह से एक खूंखार सीरियल किलर डिओगो ऐल्वेस का अंत हुआ। लेकिन पिछले 150 सालों से पुर्तगाल की यूनिवर्सिटी में इस ‘सीरियल किलर’ का कटा हुआ सर सुरक्षित क्यों रखा गया है?
बता दें कि जब सीरियल किलर डिओगो ऐल्वेस को फांसी दी गई, तब पुर्तगाल में फ्रेनोलॉजी (मस्तिष्क विज्ञान) एक पापुलर विषय हुआ करता था। फ्रेनोलॉजी एक ऐसा विषय है जिसमें मस्तिष्क की उन कोशिकाओं की जांच की जाती है, जिनसे इंसान के व्यक्तित्व का पता लगाया जा सकता था। और उस समय इसकी पढ़ाई के लिए शोधकर्ता, टीचर और विद्यार्थियों को इंसानी सिरों की कमी रहती थी। शोधकर्ताओं ने सीरियल किलर डिओगो ऐल्वेस के खूंखार व्यक्तित्व के बनने की कहानी पर रिसर्च करने की इच्छा जाहिर की। इस कारण पुर्तगाल के शोधकर्ता ने कोर्ट से डिओगो का सिर लेने की मांग रखी और कोर्ट ने इसकी अनुमति भी दे दी।
अतः फांसी के बाद खूंखार हत्यारे डिओगो का सिर काटकर प्रिजर्व कर दिया गया। अब शोधकर्ताओं ने डिओगो के मस्तिष्क की जांच की, लेकिन वे उन कोशिकाओं की पहचान नहीं कर सके, जिससे डिओगो के व्यक्तित्व का पता लगाया जा सके। जिस कारण डिओगो का सिर आज भी लिस्बन की यूनिवर्सिटी में शोध के लिए सुरक्षित रखा हुआ है।
यह उम्मीद की जा रही है कि बेहतर तकनीक के द्वारा इस खूंखार हत्यारे पर रिसर्च पूरी की जा सके।