अब आयुर्वेद का ज्ञान और सम्मान बढ़ेगा पूरी दुनियां में। जानें भारतीय चिकित्सा पद्धति के अतुलनीय योगदान को समेटे पांच नए पोर्टल।

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New Delhi : दिनांक 5 जुलाई, 2021 को आयुष मंत्रालय के द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धति के तहत शोध और उस चिकित्‍सा शिक्षा से संबंधित पांच पोर्टल जारी कर दिए हैं।

ऑनलाइन कार्यक्रम में आयुष मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री किरेन रिजिजू ने इस सभी पांच पोर्टलों का लोकार्पण किया और सीसीआरएएस के चार प्रकाशनों का भी विमोचन किया।

वें सभी पोर्टल हैं-

सीटीआरआईइस पोर्टल में समय पर आयुर्वेद के डेटासेट किये जायेंगे। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि अब आयुर्वेद के तहत किए जा रहे क्‍लीनिकल परीक्षणों को आयुर्वेद की शब्‍दावली में ही शामिल किया जा सकेगा। इससे पूरे विश्‍व में अब आयुर्वेद के तहत किये जा रहे क्‍लीनिकल परीक्षणों को और अधिक आसानी से देखा और समझा जा सकेगा।

अमर  (आयुष मैन्यूस्क्रिप्ट्स एडवांस्ड रिपॉज़िटरी) – इस पोर्टल में आयुर्वेद के साथ ही विश्वभर का चिकित्सा ज्ञान और उनके दस्तावेज डिजिटली उपलब्ध होंगे। इसमें भारत और विश्‍व के अन्‍य पुस्‍तकालयों, लोगों के व्यक्तिगत संग्रहों में शामिल यूनानी, आयुर्वेद, योग, सिद्ध और सोआ-रिग्पा से संबंधित दुर्लभ दस्‍तावेजों की जानकारी शामिल होगी।

साही  (शोकेस ऑफ आयुर्वेद हिस्टोरिकल इम्प्रिंट्स) – इसमें डिजीटली आयुर्वेद से संबंधित प्राचीन सामग्री जैसे लिखित दस्‍तावेजों, शिलालेखों, पुरातात्विक महत्व की कोई भी वस्तुओं आदि को प्रदर्शित किया जाएगा। जिसका उपयोग कर शोधकर्ता अपने शोध को मजबूती प्रदान कर सकेंगे।

आरएमआईएस  (रिसर्च मैनेजमेंट इन्फार्मेशन सिस्टम) – इस पोर्टल को आयुर्वेद में शोध और अनुसंधान से संबंधित समस्याओं और समाधान जानने के लिए एकल खिड़की व्यवस्था के रूप मे बनाया गया है।

ई्-मेधा ई मेधा पोर्टल को एनआइसी के ई-ग्रंथालय प्‍लेटफार्म से जोड़ दिया गया है। इस पोर्टल में भारतीय परंपरागत चिकित्सा शास्त्र (आयुर्वेद) की 12 हजार से भी अधिक किताबों को डिजिटली सेव किया गया है। जो विश्वभर के शोधकर्ताओं और रुचि रखने वालों लोगों तक आसानी से पहुंच सकेगी।

इन सभी पोर्टलों के द्वारा भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का डिजिटलीकरण किया गया है। जिसमें प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा से सम्बंधित पांडुलिपियों, ग्रंथों का रखरखाव किया जाएगा। डिजिटल होने से इनका उपयोग असीमित समय तक के लिए किया जा सकता है। और आने वाली पीढ़ियों को भारतीय आदर्श के तौर पर दर्शाया भी जा सकेगा।

आयुष मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने इन पांच पोर्टल के  विकसित किए जाने को ऐतिहासिक बताया। साथ ही भारतीय डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य मिशन के बारे में कहते हुए बताया कि देश के लोगों की स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा की इस महत्‍वपूर्ण योजना में आयुर्वेद बेहद अह़म भूमिका निभाएगा। इससे आयुर्वेद के शोध में महत्वपूर्ण सहयोग मिलेगा।

उन्होंने आगे बताया कि यह सभी पोर्टल आयुर्वेद विषय के लिए ऐतिहासिक, क्रांतिकारी और अहम है। इसके द्वारा पूरे विश्‍व में भारतीय परंपरागत के ज्ञान को साझा करना अधिक सरल है।

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