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अपनी भाषा एवं संस्कृति के रक्षार्थ बांग्ला भाषियों ने छेड़ा आंदोलन।

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जमशेदपुर : राज्य में बांग्ला भाषा एवं संस्कृति की रक्षा एवं साजिश के तहत बांग्ला भाषा के अस्तित्व को मिटाने के प्रयास को विफल करने के लिए राज्य भर के बांग्ला भाषी अब आंदोलन पर उतर आए हैं। पिछले चौबीस बरसों से बांग्ला भाषा की उपेक्षा एवं अनदेखी के विरोध में “झारखंड बांग्ला भाषी उन्नयन समिति” के बैनर तले नेताजी सुभाष मैदान, साकची से एक विशाल रैली निकाली गई, जिसमे जमशेदपुर सहित घाटसीला, चाकुलिया, बहरागोड़ा, धलभूमगढ़, पोटका, पटमदा, चांडिल, निमडीह, हलु‌द्घोखर, हाता, आदित्यपुर, गमहरिया, कंदरा, के बांग्ला भाषी संगठनों ने भाग लिया।

रैली उपायुक्त, जमशेदपुर कार्यालय के समक्ष आयोजित एक दिवसीय महाधारणा में परिवर्तित हो गई। महाधारणा को विभिन्न बांग्ला भाषी संगठनों के नेताओं ने संबोधित किया और राज्य में बांग्ला भाषा के साथ हो रहे सौतेले कार्रवाई की निन्दा करते हुए सरकार एवं प्रशासन को इसके परिणाम भुगतने को तैयार रहने को कहा।

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नेताओं ने वर्तमान सरकार को आज तक बांग्ला भाषी टीचर की नियुक्ति न किए जाने, बांग्ला भाषा में पुस्तकों की छपाई न करने, बांग्ला अकादमी का गठन न करने, बांग्ला को ‌द्वितीय राजभाषा घोषित कर उसकी अधिसूचना निर्गत नहीं किए जाने एवं उसका क्रियान्वयन नहीं किए जाने जैसे चिर लंबित मांगों की पूर्ति हेतु कोई भी पहल नहीं किए जाने को राज्य के बांग्ला भाषियों के भावना से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए आगामी विधानसभा चुनाव में उसका परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा। बार-बार मांग किए जाने के बाबजूद राज्य अल्प संख्यक आयोग में उपाध्यक्ष के पद पर किसी बांग्ला भाषी की नियुक्ति नहीं की गई और न ही दो सदस्यों की नियुक्ति ही की गई।

चार वर्ष आठ माह के बाद मात्र एक सदस्य को नियुक्त कर बांग्ला भाषियों को लॉलीपॉप थमाने का काम किया गया। जिस राज्य के गठन में बांग्ला भाषियों की सक्रिय भागीदारी रही उस राज्य में बांग्ला भाषा का अपमान अब किसी भी कीमत पर बर्दास्त नहीं किया जाएगा। राज्य सरकार ने राज्य के बांग्ला भाषियों को सड़क पर उतर कर आंदोलन करने पर विवश किया है, उसका परिणाम भुगतने के लिए भी उसे तैयार रहना होगा।

इस राज्य के बांग्ला भाषियों का नारा है, जो बांग्ला हित की बात करेगा बही झारखंड में राज करेगा। आज जमशेदपुर के साथ साथ धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर भी एक दिवसीय महाधारणा आयोजित किया गया है, दूसरे चरण में रांची में रैली एवं प्रदर्शन कर राज्य की सत्तासीन पार्टी सहित अन्य सभी राजनैतिक दलों को भी यह साफ संकेत दिया जाएगा, की राज्य के बांग्ला भाषियों की उपेक्षा एवं अनदेखी अब किसी भी कीमत पर बर्दास्त नहीं किया जाएगा।

महाधारणा के बाद राज्य के मुख्य मंत्री के नाम ज्ञापन उपायुक्त, जमशेदपुर को समर्पित किया गया। चूंकि झारखंड विधानसभा में किसी भी राजनैतिक दलों के जनप्रतिनिधियों द्वारा बांग्ला भाषा के लिए मुखरता से आवाज नहीं उठाया गया, इसलिए बांग्ला भाषी उन्नयन समिति के द्वारा सत्तासीन झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस सहित भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को बांग्ला बहुल विधानसभा क्षेत्र में बांग्ला भाषी उम्मीदवार देने की मांग की है।

पत्र में लिखा गया है: 

सेवा में,
श्री हेमंत सोरेन महोदय, माननीय मुख्यमंत्री, झारखंड सरकार, रांची।

द्वाराः उपायुक्त महोदय, पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर।

विषयः झारखंड के बांग्ला भाषियों का समस्याओं की अनदेखी के संबंध में।

महोदय,
बड़े ही दुःख एवं पीड़ा के साथ सूचित करना है की पिछले चार साल एवं आठ माहों के आपके शासन काल में राज्य के ४२ प्रतिशत बांग्ला भाषियों के किसी भी समस्या के निराकारण की दिशा में कोई भी सार्थक प्रयास नहीं किया गया है, जिससे राज्य के एक करोड़ तीस लाख बांग्ला भाषियों की भावनाएं आहत हुई है और राज्य के बांग्ला भाषियों में काफी रोष है। प्रसंग बस यह उल्लेख करना है कि पिछले चुनाव में बांग्ला भाषियों ने आपको इस आशा के साथ समर्थन दिया था कि उन्हें आपके स्तर से उचित मान सम्मान प्रदान किया जाएगा और उनके समसाओं का निराकरण किया जाएगा।

परन्तु खेद के साथ सूचित करना है की बार बार सरकार एवं प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने हेतु आपको ज्ञापन समर्पित करने, जिलों के उपयुक्त के माध्यम से ज्ञापन समर्पित करने, रांची में विशाल रैली आयोजित कर महामहिम राज्यपाल महोदय को ज्ञापन समर्पित करने के माध्यम से सरकार एवं प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के बाबजूद आज तक न तो बांग्ला शिक्षकों की नियुक्ति की गई, न ही बांग्ला पुस्तकों की छपाई हुई, न ही बांग्ला अकादमी का गठन किया गया, और न ही राज्य अल्पसंख्यक आयोग में उपाध्यक्ष एवं दो सदस्यों की ही नियुक्ति हुई, जबकि संप्रति मात्रा एक सदस्य को ही नियुक्ति की गई।

इन सारे कारवाई से स्पष्ट होता है कि सत्ता एवं प्रशासन द्वारा बांग्ला भाषियों की समसाओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। प्रसंग बस यह भी उल्लेख करना है की पिछले दो सालों से राज्य के बांग्ला भाषियों द्वारा अपनी भाषा एवं संस्कृति के रक्षार्थ सभी चौबीसों जिलों में सभी बांग्ला भाषी संगठनों को एकजुट कर आन्दोलन की तैयारी की जा रही है।

राज्य के बांग्ला भाषी अब अपनी भाषा एवं संस्कृति के रक्षार्थ आर पार की लड़ाई जारी करने की तैयारी कर रहे हैं। उसी के तहत दिनांक १०.०९.२०२४ को जमशेदपुर एवं धनबाद में एक दिवसीय महाधारणा का आयोजन किया गया है।

अतः आपसे अनुरोध है कि राज्य के एक करोड़ तीस लाख बांग्ला भाषियों के भावना को ध्यान में रखते हुए अबिलंब हमारी निमांकित मांगों की पूर्ति करने की कृपा करें:

१) अबिलम्ब बांग्ला भाषी टीचर की नियुक्ति की जाय ।

२) अबिलांब बांग्ला पुस्तकों की छपाई की जाय।

३) बांग्ला अकादमी का गठन किया जाए।

४) राज्य में बांग्ला को द्वितीय राजभाषा घोषित कर अधिसूचना निर्गत कर उसके क्रियान्वयन की कारवाई प्रारम्भ किया जाय।

५) नई एजुकेशन नीति के अनुसार सभी सरकारी एवं निजी स्कूलों में बांग्ला की पढ़ाई शुरू की जाय।

६) राज्य अल्पसंख्यक आयोग में एक उपाध्यक्ष एवं दो सदस्यों की नियुक्ति की जाय।

७) राज्य के सभी बांग्ला बहुल जिलों में पूर्व की भांति बांग्ला में रेलवे स्टेशनों का नाम लिखा जाए।

८) चैतन्य महाप्रभु के नाम पर NH-33 का नामकरण किया जाय।

९) सत्ता एवं शासन में बांग्ला भाषियों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाय।

इस बार बांग्ला भाषियों का एक ही नारा है ” जो बांग्ला हित में बात करेगा बही झारखंड में राज करेगा”।

अतः विषय की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए आपसे अनुरोध है कि राज्य के बांग्ला भाषियों के उपरोक्त मांगो की पूर्ति की दिशा में सार्थक प्रयास करेगें।

सधन्यवाद,

भवदीय,
श्री अर्चितम गुप्ता
प्रदेश अध्यक्ष
झारखंड बांग्लाभाषी उन्नयन समिति
झारखंड।

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