दोस्तों, अंतरिक्ष में सैटेलाइट भेजने के बाद रॉकेट आदि के कुछ हिस्से तो जमीन पर गिर जाते हैं पर अधिकतर हिस्से अंतरिक्ष में ही धरती की कक्षा में घूमते रहते हैं। वहीं अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद कुछ सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में ही रह जाते हैं। तो कुछ उल्का पिंड से टकराने के बाद क्षतिग्रस्त होकर वहीं बिखर जाते हैं। एक तरह से धरती के बाहरी हिस्से जिसे बाह्यमण्डल भी कहा जाता है, वहां ये एकत्रित होते रहते हैं। यह कबाड़ धरती के लिए किसी भी समय बड़े हादसे को अंजाम दे सकते हैं। आज यह स्थिति है कि इस बाह्यमण्डल में सैटेलाइट्स और उल्कापिंड के कबाड़ ( कचरे) बिखरे पड़े हैं। अनुमानित इनकी संख्या 20 हजार से अधिक बताई जाती है।
यदि समय रहते इस समस्या से निजात नहीं पाया गया तो हमें एक बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
अंतरिक्ष में फैले इस कबाड़ (कचरे) को हटाने के लिए कई देशों ने ध्यान दिया है।
जापान ने भी इस विषय पर चिंता दर्शायी है जिसके लिए उसने 20 मार्च, 2021 को एक चुंबकीय उपग्रह (Magnetic satellite) को लॉन्च किया है। जिसे सुबह लगभग 6:10 बजे कजाकिस्तान से अन्तरिक्ष में भेजा गया है। बता दें कि इस उपग्रह में दो अंतरिक्षयान हैं जो अंतरिक्ष का गहन निरीक्षण करेंगे। विश्व में इससे पहले चुबंक का इस्तेमाल उपग्रह निर्माण में नहीं किया गया था। इस उपग्रह का वजन लगभग 200 KG है। इस उपग्रह की सबसे खास बात यह है कि ये अंतरिक्ष में कचरे की गणना बताने के साथ ही उन्हें साफ भी करता जाएगा और काम पूरा होने के बाद वहीं खुद भी जलकर नष्ट हो जाएगा।
इस उपग्रह का नाम ELSA-D रखा गया है। जिसे जापानी कंपनी स्ट्रॉस्केल द्वारा बनाया गया है। साल 2013 में स्ट्रॉस्केल की स्थापना एक जापानी व्यवसायी नोबू ओकाडा ने कि थी। ओकाडा के मुताबिक अंतरिक्ष में लगभग नौ हजार दो सौ टन कबाड़ बिखरा पड़ा है। उन्होंने बताया कि स्ट्रॉस्केल कंपनी की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ही अंतरिक्ष में कचरे को खत्म करना है।
वहीं इससे पहले नवंबर 2020 में यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने भी अंतरिक्ष में बिखरे बड़े आकार के कचरे को धरती पर लाने की तैयारी की थी। जिसके लिए उसने क्लियर स्पेस एसए (Clear Space SA) स्टार्टअप से समझौता किया था।
क्लियर स्पेस एक स्विट्जरलैंड की स्टार्टअप कंपनी है जो अंतरिक्ष में कचरा हटाने का काम करती है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने इस कार्य के लिए क्लियर स्पेस एसए को साल 2019 में ही चुना था। क्लियर स्पेस का प्रक्षेपण साल 2025 में होगा।
इसका प्रमुख लक्ष्य वेस्पा यानि वेगा सेकेंड पेलोड अडाप्टटर (VESPA) जो साल 2013 में एक सैटेलाइट के प्रक्षेपण के उपयोग में लाया गया था की धरती में वापस लाने का है जिसका कुल वजन लगभग 112 KG का था।