JAMSHEDPUR : झारखंड में चल रही मइयां सम्मान योजना के बारे में एक फेसबुक रील में कही गई एक महिला की बात ने न केवल संवेदनशीलता पैदा की, बल्कि कई लोगों को सोचने पर मजबूर भी कर दिया। सवाल यह है कि एक पूरा सरकारी तंत्र, जिसमें शिक्षित आईएएस अधिकारी, मंत्री और नीति-निर्माता शामिल हैं, किस आधार पर जनता को इस प्रकार भ्रमित कर सकता है? और सबसे आश्चर्य तब लगता है जब सभी मिलकर एक मुर्ख राजा की हाँ में हाँ मिलाते हैं।
योजना का उद्देश्य और इसकी वास्तविकता
बात हो रही है झारखण्ड में चल रही योजना मइयां सम्मान योजना की। यह वोट बैंक की राजनीती से प्रेरित है जिसे नकारा नहीं जा सकता और इसे देखते हुए भाजपा ने झारखण्ड में सरकार बनाने के बाद गोगो दीदी योजना लाने का प्रचार प्रसार किया था।मइयां सम्मान योजना को झारखंड की वर्तमान सरकार ने 2024 के विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले शुरू किया। योजना का उद्देश्य राज्य की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना बताया गया, लेकिन इसके पीछे की असली मंशा राजनीतिक लाभ लेना था। सबसे बड़ा ट्विस्ट यही पर नजर आ रहा है।
इस योजना के तहत 18 से 50 वर्ष की सभी महिलाओं को हर महीने ₹2500 दिए जाते हैं। शुरुआत में यह राशि ₹1000 थी, जिसे बढ़ाकर ₹2500 किया गया। योजना के लागू होने के बाद महिलाओं को लाभ जरूर हुआ, लेकिन इसके साथ ही उन विधवा और वृद्ध महिलाओं को बड़ा नुकसान हुआ जो पहले से पेंशन योजनाओं के तहत कुछ आर्थिक सहायता प्राप्त कर रही थीं।
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भेदभावपूर्ण आर्थिक सहायता: सरकार के तर्क पर सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि सक्षम महिलाओं को ₹2500 और विधवा महिलाओं को केवल ₹1000 क्यों दिए जा रहे हैं? यह अंतर न केवल आर्थिक भेदभाव का उदाहरण है, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग – असहाय, बुजुर्ग और विधवा महिलाओं – के अधिकारों का सीधा उल्लंघन भी है।
यह स्थिति दर्शाती है कि सरकार कमजोर वर्ग के अधिकारों की अनदेखी कर रही है। जिस प्रकार से सक्षम महिलाओं को अधिक और विधवाओं को कम सहायता दी जा रही है, वह नीति-निर्माण में गंभीर त्रुटि को उजागर करता है।
राजनीति बनाम समाज सेवा
यह योजना स्पष्ट रूप से वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा लगती है। झारखंड की भाजपा ने भी अपनी संभावित सरकार के लिए “गोगो दीदी योजना” का प्रचार किया, जो इस प्रकार की योजनाओं के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को उजागर करता है।
सुधार की आवश्यकता
सरकार को चाहिए कि वह इस योजना के तहत असहाय, बुजुर्ग और विधवा महिलाओं के साथ किए जा रहे अन्यायपूर्ण भेदभाव पर पुनर्विचार करे। आर्थिक सहायता के वितरण में समानता और न्याय को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
मइयां सम्मान योजना जैसी पहल, जो महिलाओं को सशक्त करने का दावा करती है, तभी सार्थक हो सकती है जब वह सभी वर्गों की महिलाओं को समान रूप से लाभ पहुंचाए।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी के नाम से फेसबुक रील में यह बात एक महिला द्वारा कही जा रही है जो वाकई में सोचनीय है। झारखंड की मइयां सम्मान योजना वर्तमान में न केवल अपनी नीतियों के कारण विवादों में है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के साथ हुए भेदभाव की वजह से भी आलोचना झेल रही है। सरकार को इस योजना की समीक्षा कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी महिलाओं को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार समान लाभ मिले।
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