New Delhi : रविवार 29 अगस्त, 2021
भारत का स्वर्णिम इतिहास मेजर ध्यानचंद के बगैर अधूरा है। हो भी क्यों ना, जिसने विश्व में भारत को एक नई पहचान दिलाई वह वाकई में महान है। हॉकी का जादूगर की संज्ञा अगर किसी शख्स को मिली है तो वे हैं मेजर ध्यानचंद। आज उनका जन्मदिन है। जिसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हॉकी का सबसे महान खिलाड़ी और हॉकी का जादूगर कहने के पीछे उनके हॉकी खेलने की अद्भुत शैली थी। मैदान पर जब उतर जाते थे उनका प्रदर्शन अतुलनीय होता था।
उन्होंने हॉकी के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कई खेलों में हिस्सा लिया और बेहतरीन प्रदर्शन के साथ कई इनाम भी अपने नाम किये। जैसा कि आप जानते हैं लगातार तीन वर्ष 1928, 1932 और 1936 ओलिंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीत कर पूरे विश्व में भारत देश का मान बढ़ाया था। मेजर ध्यानचंद ने साल 1948 में अपना आखिरी मैच खेला था। उन्हें भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान और वर्ष 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1928 में ग्रीष्मकालीन खेल नीदरलैंड्स के एम्स्टर्डम में खेला गया। भारतीय हॉकी टीम ने तत्कालिन बिहार के जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में मेजर ध्यानचंद ने यह कारनामा दिखाया। इस वर्ष ध्यानचंद ने पहली बार ओलिंपिक खेल में हिस्सा लिया था और तात्कालिक बिहार अब झारखंड के जयपाल सिंह मुंडा की कप्तानी में खेला।
अपने बेहतर खेल प्रदर्शन का जादू ध्यानचंद ने अपनी हॉकी से दिखाया जिसे देख सारे प्रत्याशी हतप्रभ रह गए थे। इस ओलिंपिक में हुए 5 मैचों में सबसे अधिक 14 गोल कर भारत को गोल्ड मेडल दिलाया। उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में 400 से अधिक गोल किए। जो अबतक का रिकॉर्ड है।