ऐसा ही एक केस सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया है जिसमें एक व्यक्ति ने याचिका दायर की है कि उसकी पत्नी को फिर से उसके साथ रहने का आदेश दिया जाए।
जी हां दोस्तों यह मामला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का है।
आपको बता दें कि महिला ने यह दावा किया था कि उसे उसके पति ने दहेज के लिए प्रताड़ित किया और उससे दूर रहने लगा था। वर्ष 2015 में महिला ने अपने रखरखाव के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। परिवारिक अदालत ने पति को हर महीने 20,000 रुपये का भुगतान महिला को जीवनयापन के लिए देने का आदेश दिया। जिसके बाद उस व्यक्ति ने फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की। संवैधानिक अधिकारों का हवाला देते हुए उसने अदालत में संपर्क कर यह जानने की कोशिश कि, की यदि वह महिला के साथ रहने के लिए तैयार हो जाता हैं तो क्या जीवनयापन के लिए उसे भुगतान करने की आवश्यकता होगी ?
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मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय का है जिसे अस्वीकार कर दिया गया ।
इसके बाद व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जिसमें वह चाहता है कि कोर्ट यह फैसला दे कि महिला उसके साथ दुबारा से रहने के लिए तैयार हो जाये।
महिला के वकील अनुपम मिश्रा ने अदालत को कहा कि उसके पति का यह खेल केवल भुगतान देने से बचने के लिए है। पति के वकील ने कहा कि अदालत को महिला को अपने पति के पास वापस जाने के लिए कहना चाहिए क्योंकि पारिवारिक अदालत ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया था।
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लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश अभी भी लंबित है।
जस्टिस संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की बेंच ने कहा- ‘आपको क्या लगता है? क्या एक महिला एक चैटटेल है जो हम इस तरह के आदेश को पारित कर सकते हैं? क्या एक पत्नी एक चैटटेल है जिसे वह आपके साथ जाने के लिए निर्देशित कर सकती है? आप हमें इसके लिए एक आदेश पारित करने के लिए कह रहे हैं जैसे कि उसे एक जगह पर भेजा जा सकता है ।
आप इस बारे में क्या विचार रखते हैं। क्या एक महिला एक वस्तु है या किसी की जागीर है? जिसे जब मन चाहा रखा और जब मन चाहा दूर कर दिया। अपना जवाब हमें कमेंट में जरूर दे।
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