G-20 वर्किंग ग्रूप बैठक के संदर्भ में निपुण भारत मिशन FLN (Foundational Literacy and Numeracy) अंतर्गत एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला
जमशेदपुर | झारखण्ड
लोयोला स्कूल, बिष्टुपुर के सभागार में उपायुक्त श्रीमती विजया जाधव की अध्यक्षता में निपुण भारत मिशन FLN अंतर्गत एकदिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मौके पर जिला शिक्षा पदाधिकारी श्रीमती निर्मला बरेलिया, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमती नेहा संजना खलखो, जिला शिक्षा अधीक्षक सुश्री निशु कुमारी, रांची से आईं कंसल्टेंट कामिनी कुमारी तथा कार्यशाला में भाग ले रहे करीब 300 प्रतिभागी उपस्थित हुए जिनमें बीआरपी, सीआरपी, बीपीओ, एफएलएन मास्टर ट्रेनर, चिन्हित 20 स्कूल के शिक्षक तथा प्राचार्य तथा जिला स्तरीय एफएलएन कमिटी के सदस्य शामिल थे। कार्यशाला में FLN का जिले में बेहतर तरीके से क्रियान्वयन पर मार्गदर्शन किया गया।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य एजुकेशन वर्किंग ग्रुप के माध्यम से मूलभूत साक्षरता को बढ़ावा देना तथा डिजिटल और ऑनलाइन मीडिया के माध्यम से होने वाले औपचारिक शैक्षणिक कार्यक्रम (Blended learning) द्वारा प्रारंभिक शिक्षा के दौरान बच्चों के मनोभाव को समझना एवं उसको विकसित करने हेतु सार्थक प्रयास किया जाना रहा। FLN के तहत 3 वर्ष से लेकर 9 वर्ष तक आयु वर्ग के बच्चों को उनके मातृभाषा में सीखने, समझने और लिखने की क्षमता को विकसित करना है। इलके लिए झारखंड सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा मुंडारी, कुड़ुख, संताली, खड़िय़ा एवं हो भाषा में शिक्षक संदर्शिका तैयार कराई गई है।
‘शिक्षा से बेहतर कोई गिफ्ट समाज को नहीं दे सकते’
उपायुक्त ने अपने संबोधन में कहा कि इस मिशन के तहत 3-9 वर्ष के बच्चो के बीच ऐसा वातावरण तैयार करना है जिससे उन्हें बुनियादी साक्षरता एवं संख्याज्ञान में पर्याप्त रूप से सशक्त किया जा सके। उन्होने कहा कि बदलते दौर में शिक्षकों को भी पढ़ाने की विधा को बदलना होगा, बच्चा क्या सुन रहा, कितना समझ रहा फिर उसे कैसे लिख रहा है इसपर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि शिक्षक अगर बच्चों के मनोभाव को समझते हुए रूचिकर तरीके से विषयों को पढ़ायें तो जरूर बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। एक बार बच्चों में विषयों को लेकर रूचि जागृत हो जाए तो बाद में ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं होगी।
हमारे सामने चुनौती है कि कैसे ग्रामीण परिवेश के बच्चों में मैथ्स और साइंस का को लेकर डर है उसे दूर भगायें। उन्होने कहा कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के पढ़ाई-लिखाई के मामले में उनके मां-बाप हम ही हैं। शिक्षा से बेहतर कोई गिफ्ट नहीं है जो हम समाज को वापस दे सकते हैं। उपायुक्त ने कहा कि हमारे यहां आंगनबाड़ी केन्द्र बच्चों के प्रारंभिक शिक्षा का माध्यम है, उन्हें सशक्त करना होगा, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका की ट्रेनिंग कराई जाएगी। उन्होने सुझाव देते हुए कहा कि जिले के बेस्ट शिक्षकों के बीच टीचर ट्रेनिंग मेटेरियल बनाने का कंपीटिशन करायें, 11 प्रखंड से 22 शिक्षक चुनें फिर उनके बीच जिला तथा राज्य स्तर पर कंपीटिशन कराते हुए सम्मानित भी किया जाए इससे सरकारी स्कूल के शिक्षकों के बीच भी प्रतिस्पर्धा का एक माहौल बनेगा।
निपुण मिशन कि आवश्कता क्यों?
यूनेस्को के 2013-14 की ‘Education For All Global Monitoring Report’ के अनुसार यदि सारे बच्चे मूलभूत पढ़ने के कौशल के साथ स्कूल छोड़े होते तो 171 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला जा सकता था। इन सबको ध्यान में रखकर शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने 5 जुलाई 2021 को निपुण भारत मिशन आरंभ किया।
निपुण मिशन 3-9 वर्ष के बच्चों के आगे की कक्षाओं के लिए उनके सफल शैक्षणिक विकास की आधारशिला है। जो बच्चे मूलभूत कौशल से वंचित रह जाते हैं उन्हे आगे की कक्षाओं में उचित अधिगम प्राप्त होना मुश्किल होता है और वे निरंतर पिछड़ते चले जाते हैं। तथा, सीखने की इस प्रकार की प्रक्रिया में निरंतर पिछड़ जाने से ऐसे बच्चे स्कूली व्यवस्था से ड्रॉप आउट हो जाते हैं।
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि जिला में 10-14 जून तक सभी विद्यालय एवं समुदाय स्तर पर FLN के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसका दस्तावेजीकरण एवं प्रचार-प्रसार भी करना है।