जमशेदपुर : श्री श्री मां दुर्गा पूजा समिति, आदित्यपुर गुमटी बस्ती, नियर मां मनसा देवी मंदिर, रेलवे फाटक रोड पर हर साल की तरह इस बार भी मां दुर्गा पूजा की तैयारी पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ शुरू हो चुकी है। यह पूजा समारोह, जिसे पूरे समुदाय के लोग मिलकर मनाते हैं, सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। माँ दुर्गा, जो शक्ति और साहस की देवी मानी जाती हैं, उनके पूजन के लिए यह एक विशेष समय होता है, जब भक्तगण मिलकर उनकी पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
आदित्यपुर गुमटी बस्ती का यह स्थान कई सालों से मां दुर्गा के इस पावन पूजन का गवाह रहा है। यहां का पूजा मंडप, मां दुर्गा की अद्भुत प्रतिमा, और भव्य सजावट हर किसी का मन मोह लेती है। पूजा की तैयारियाँ काफी समय पहले से ही शुरू हो जाती हैं। मां दुर्गा की मूर्ति को बनाने के लिए कलाकार दूर-दूर से आते हैं और पूरी मेहनत व निष्ठा के साथ मां की प्रतिमा तैयार करते हैं। मूर्ति निर्माण से लेकर पूजा स्थल की सजावट तक, हर कार्य में स्थानीय लोगों का सहयोग रहता है, जिससे यह आयोजन और भी भव्य हो जाता है।
पूजा की तैयारियों में न सिर्फ मंडप की सजावट और मूर्ति निर्माण शामिल होता है, बल्कि संगीत, भजन, और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी योजनाएं बनाई जाती हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए कुछ न कुछ खास होता है। यहां आने वाले लोग न सिर्फ पूजा का आनंद लेते हैं बल्कि इन कार्यक्रमों के माध्यम से भी मनोरंजन पाते हैं। पारंपरिक नृत्य, संगीत, और नाटक के माध्यम से दुर्गा मां की गाथाओं को मंचित किया जाता है, जिससे इस पूरे आयोजन में धार्मिक और सांस्कृतिक समन्वय नजर आता है।
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इस समारोह के दौरान सामूहिक भोग वितरण भी होता है, जिसमें हजारों लोग एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह भोग, मां दुर्गा के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है, जिसे पाने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। प्रसाद ग्रहण करने के बाद भक्तों के चेहरे पर जो संतोष और खुशी नजर आती है, वह अद्वितीय होती है।
पूजा के दौरान प्रतिदिन मां दुर्गा की विशेष आरती की जाती है। इस आरती के समय पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। ढोल, नगाड़े, शंख, और घंटियों की आवाज से पूरा क्षेत्र गूंज उठता है। इस समय हर व्यक्ति अपनी सारी चिंताओं को भूलकर मां दुर्गा की आराधना में लीन हो जाता है। यह वह क्षण होता है जब लोग अपनी मनोकामनाएं मां के सामने रखते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।
पूजा समिति के प्रमुख, विशेष कुमार उर्फ बाबू तांती जी, का इस पूरे आयोजन में विशेष योगदान रहता है। वे हर साल इस पूजा को सफल बनाने के लिए पूरी समिति के साथ मिलकर काम करते हैं। उनकी टीम पूजा की तैयारियों से लेकर इसके समापन तक हर छोटी-बड़ी चीज का ध्यान रखती है। स्थानीय समाज भी इस आयोजन में पूरे उत्साह के साथ भाग लेता है, जिससे यह पूजा हर साल और भी भव्य और सफल होती है।
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पूजा समिति की ओर से सभी भक्तों को इस पूजा समारोह में शामिल होने का आमंत्रण दिया जाता है। यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि एक ऐसा अवसर होता है जब लोग अपने आपसी मतभेद भूलकर एक साथ मिलते हैं और मां दुर्गा के आशीर्वाद से अपनी जिंदगी में नई ऊर्जा का संचार करते हैं। पूजा के दौरान सभी को एक साथ मिलकर मां के गीत गाने, आरती में शामिल होने, और प्रसाद ग्रहण करने का मौका मिलता है।
पूजा के दिन विशेष रूप से मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें देवी के नौ रूपों की उपासना की जाती है। ये नौ रूप मां दुर्गा की विभिन्न शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो उनके अलग-अलग गुणों को दर्शाते हैं। भक्त इन नौ दिनों के दौरान व्रत रखते हैं और मां से अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं।
पूजा के अंतिम दिन, जिसे विजयादशमी कहा जाता है, मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन होता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है। विसर्जन के दौरान भक्त मां को विदाई देते हैं और अगले साल फिर से उनके आगमन की कामना करते हैं। यह दृश्य बेहद भावुक और आस्था से भरा होता है, जब भक्त अपनी आंखों में आंसू लिए मां को विदा करते हैं।
पूजा समिति की ओर से सभी को यह अपील की जाती है कि वे इस पावन अवसर पर जरूर आएं और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करें। यह पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को एकजुट करने का माध्यम है। आपसी प्रेम, भाईचारा, और सहयोग की भावना को मजबूत करने के लिए इस तरह के आयोजन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।
आइए, इस साल भी मां दुर्गा पूजा के इस पावन पर्व में शामिल हों, मां का आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का स्वागत करें।