दिल्ली पुलिस की स्पेशल फोर्स ने किया पर्दाफाश – साइबर क्रिमनल्स की एडवांस टेक्निक ने बिना मोबाइल के OTP प्राप्त किये, उड़ाए 2 करोड़ रुपये। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान राज्यों में की गई छापामारी। शातिर क्रिमिनल्स पकड़ाए कुरुक्षेत्र में।
Crime : लगातार बढ़ते साइबर क्राइम ने लोगों को परेशान कर रखा है। एक ओर कोरोना से बचाव के लिए लोग जद्दोजहद में लगे हैं तो दूसरी ओर साइबर क्रिमिनल्स के बढ़ते उत्पात से भी लोग परेशान हो चुके हैं। सालों मेहनत की हुई कमाई चंद मिनटों में शून्य हो जाती है। कोई अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए पैसों को इकठ्ठा करके रखा है तो कोई बेटी की शादी के लिए। कोई अपने एक पक्के मकान के लिए तो कोई बुढ़ापे के लिए। कोई खुद का व्यवसाय करने के लिए तो कोई कर्ज से मुक्ति पाने के लिए। कोई बूढ़े मां-बाप के इलाज के लिए तो कोई अपने सपनों को पूरे करने के लिए। और जब इन्हें यह पता चलता है कि इनका ये सब काम अब शायद पूरा नहीं हो पायेगा क्योंकि इनकी मेहनत की कमाई कोई चोर लूट ले गया है तो इनको आधी मौत आ चुकी होती है।
तीन ऐसे ही साइबर चोरों को दिल्ली पुलिस ने धर दबोचा है जो लोगों के पैसे बिना उनकी अनुमति और मोबाइल ओटीपी के ही निकाल लेते थे। उत्तरी दिल्ली पुलिस की साइबर सेल की टीम ने इन्हें हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र इलाके से पकड़ा है।
आपको बता दें कि यह गिरोह काफी दिनों पहले से इस तरह की धटनाओं को अंजाम देता आया है। जिसे दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए और जेलों में भीड़ कम रखने की प्रक्रिया के दौरान इन्हें भी कुछ दिनों के लिए पैरोल पर जेल से बाहर कर दिया गया था। पैरोल की अवधि समाप्ति के बाद ये वापस जेल आये ही नहीं। बल्कि अपने ऑनलाइन ठगी के धंधे को दुबारा से चालू कर दिया और इनका गैंग भी बढ़ता गया। तब तक ये दिल्ली छोड़ चुके थे।
अपने ठगी के धंधे को इन्होंने अन्य राज्यों में फैलाना चालू कर दिया। जिसमें महाराष्ट्र, गोवा, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और यूपी में लोगों को अपना शिकार बनाना चालू किया। इतना ही नहीं इन्होंने दक्षिण भारत के साइबर सिटी कहे जाने वाले शहर बेंगलुरु में भी पैर जमाने आरम्भ कर दिया। लेकिन वो कहते हैं न चोर एक न एक दिन पकड़ा जरूर जाता है।
इन क्षेत्रों में बढ़ते ठगी के वारदातों ने इनके नाम की मुहर लगा दी थी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इनकी हरकतों को कैच करना आरंभ कर दिया और लगातार 5 दिनों की दौड़-भाग करने के बाद ये आखिरकार कुरुक्षेत्र में पकड़ाये। दिनांक 30 मई 2021 रविवार को उत्तरी दिल्ली जिले के डीसीपी अंटो अलफोंस ने ईनकी गिरफ्तारी की पुष्टि की है। इन ठगों के पास से मोबाइल, क्रेडिट कार्ड और लैपटॉप बरामद हुए हैं।
ये ठग कितने टैलेंटेड है इस बात की पुष्टि आप इनके काम को ही देख कर लगा सकते हैं। कि बिना कुछ बताये ही ये बैंक अकाउंट से पैसों का हेरफेर करते थे। इनमें से एक का नाम विकास झा उम्र 31 वर्ष, दूसरा विक्की उर्फ हिमांशु उर्फ सोनू उम्र 27 वर्ष और तीसरा अविनाश उम्र 36 वर्ष बताया गया है।
इन्हें यह बात अच्छी तरह पता थी कि जेल से बाहर रहकर ये कुछ ही दिनों में अच्छी कमाई कर लेंगे जिससे ये कोर्ट कचहरी, पुलिस, जेल, वकील को मैनेज कर लेंगे।
इस वर्ष के फरवरी माह में ठगी की शिकार एक महिला ने अपनी रिपोर्ट उत्तरी दिल्ली पुलिस को लिखाई जिसमें उसने बताया कि उसके क्रेडिट कार्ड से लगभग 37 हजार के गिफ्ट वाउचर खरीदें गए है वछ भी बिना ओटीपी के। इसे गंभीरता से लेते हुए उत्तरी दिल्ली के डीसीपी ने मामले की जांच जिला साइबर सेल प्रभारी सब-इंस्पेक्टर रोहित संड को दी।
उन्होंने जिला साइबर सेल टीम की मदद से निगरानी रखना आरम्भ कर दिया। इस टीम में उत्तरी जिला ऑपरेशन सेल प्रभारी एसीपी जयपाल सिंह, सब इंस्पेक्टर रोहित कुमार, एएसआई राजीव, महिला हवलदार सुनीता, सिपाही प्रकाश और सिपाही अनिल शामिल थे। कई महीनों के बाद इस टीम को सुराग मिल ही गया।
सुराग के द्वारा साइबर क्राइम टीम ने पाया कि यह क्राइम इंटरनेट के माध्यम से किया जा रहा है। जिसमें ऑनलाइन गिफ्ट वाउचर का सिस्टम भी अब इन्होंने ऐड कर लिया था। पुलिस की स्पेशल सेल ने लगभग 100 मोबाइल नंबरों की निगरानी आरम्भ कर दी जिनपर शक किया जा रहा था। शक के आधार पर जिला साइबर सेल की टीम ने हरियाणा और यूपी पुलिस से इससे संबंधित बातचीत की।
इस दौरान जानकारी मिली कि हरियाणा राज्य के फरीदाबाद और गुरुग्राम में भी कुछ इसी तरह की ठगी की शिकायतें दर्ज हैं। अब जिन मोबाइल नंबरों की निगरानी की जा रही थी उनमें से कुछ नंबरों पर पुलिस की टीम ने एक्शन लेना आरम्भ कर दिया और फलस्वरूप साइबर ठग विकास झा की जानकारी मिल गई। टीम ने लगातार पांच दिन की भागदौड़ की और अंत में कुरुक्षेत्र में इन तीनों साइबर ठगों को धर दबोचा।
साइबर सेल की टीम ने जब इनसे ऑनलाइन ठगी करने की जानकारी ली तो इस तरीके को जानकर पुलिस हैरत में पड़ गई।
इन्होंने बताया कि कुछ प्राइवेट बैंकों से गठजोड़ कर ग्राहकों के खाते की सारी जानकारी हासिल कर लेते थे। उसके बाद उन ग्राहकों के मोबाइल नंबरों पर कई सारे मैसेज भेजते थे। जैसे ही किसी फेक मैसेज पर कोई अपनी डिटेल भरता था वह इन्हें मिल जाती थी। यह सबसे सरल माध्यम बन गया इनके लिए। और कई बार लोगों के क्रेडिट कार्ड की भी जानकारी मिल जाती थी। जिससे ये अपनी काली करतूत पूरी करते थे और गिफ्ट वाउचर खरीद कर कीमती मोबाइल या अन्य सामान खरीदते थे। फिर उसे बाजार में बेच देते थे। जो रकम आती थी उसे अपने बैंक खातों में ऑनलाइन ही जमा करवाते थे। और जरूरत के अनुसार एटीएम से कैश करते थे।
साइबर ठग और इसके शिकार होने से कैसे बचे।
इन साइबर ठगों से बचने का सबसे सरल उपाय यह है कि अपनी निजी जानकारी किसी भी अज्ञात नंबर, मैसेज, वेबसाइट या मोबाइल एप्लिकेशन के साथ शेयर ना करें। मेरा एक पर्सनल सुझाव तो यह रहेगा कि बढ़ते ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए आप अपनी कमाई का प्रमुख हिस्सा किसी ऐसे दूसरे बैंक खाते में रखें जिसका उपयोग आप बैंक में जा कर ही मैनुअल तरीके से कर सके। इस खाते में न ही एटीएम का प्रयोग करें न ही मोबाइल एप्प का। और एक ऐसा खाता रखें जिसमें जरूरत के अनुसार कम पैसे हो। जिसको एटीएम या मोबाइल एप्प के द्वारा जब चाहे आप इस्तेमाल कर सके। ऐसा करने से शायद आप बड़े नुकसान से बच सके।